Fall of A Strongman

13/जनवरी/2015

Hindustan Times 


महिंदा राजपक्षे की हार से अचानक श्रीलंका की राजनीति व अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आ जाएगा। परन्तु राजपक्षे के तीसरे कार्यकाल में आने के बाद होने वाली समस्याओं से श्रीलंका अवश्य ही बच गया।
राजपक्षे जिन्होंने स्ज्ज्म् से मुक्ति दिलाई साथ ही उन्होंने अपने शासन का अत्यधिक दुरूपयोग किया जिससे भाई भतीजावाद व पक्षपात जैसे आरोप भी लगे। देश के अल्पसंख्यक मुस्लिम, तमिल व ईसाई साथ ही बड़ी संख्या में सिन्हाला जनसंख्या भी राजपक्षे से रूष्ट हुई जिसका उत्तर इन लोगों ने श्रीसेन को मत देकर किया।
श्री सेन के चुनावी घोषणा पत्र ने इन लोगों को प्रभावित किया। साथ ही पश्चिमी देशों की मानवाधिकार संस्थाओं और चीन के निवेश व उससे उपजी समस्याओं ने भी राजपक्षे के विरूद्ध माहौल तैयार किया। भारत के लिए भी यह परिवर्तन सकारात्मक नजर आता है क्योंकि राजपक्षे के तमिल समस्या व चीन के प्रति रूझान ने आपसी सम्बंधों में अस्पष्टता ला दी थी।

Comments